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झेड-एन स्टेनिंग क्या है ZN Staining in Hindi

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ZN Stain (Ziehl-Neelsen रंग) एक विशेष स्टेनिंग विधि है जो माइकोबैक्टीरिया और नोकार्डिया जैसे वैक्सी सेलवाल वाले सूक्ष्मजीवों को दृश्यीकृत करने के लिए प्रयोग की जाती है।माइकोबैक्टीरिया और नोकार्डिया जीनस में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीवों की सेलवाल (Cell wall ) काफी जटिल (Complex) होती है। इनकी सेलवाल में अधिक मात्रा में लिपिड कंटेंट होता है। ऐसे वैक्सी सेलवाल वाले सूक्ष्मजीवों की सेलवाल में माइकोलिक एसिड (mycolic acid) होता है, जो एक जटिल हाइड्रोकार्बन होता है। ऐसे मोमी / वैक्सी (waxy) सेलवाल के कारण, बैक्टीरिया आसानी से स्टेन नहीं हो पाते। इसलिए, ग्राम स्टेनिंग (Gram Staining) या सरल स्टेनिंग (Simple Staining) जैसे आमतौर पर इस्तेमाल होनेवाले स्टेनिंग मेथड से ऐसे जटिल और मोमी सेलवाल वाले जीवों को स्टेनिंग करना कठिन होता है। ऐसे बैक्टीरिया को देखने के लिए Ziehl Neelsen एसिड फास्ट स्टेन (ZN स्टेन) जैसी विशेष स्टेनिंग का उपयोग होता है ।

झेड-एन स्टेनिंग (ZN Staining) तकनीक एक डिफरन्सिअल स्टेनिंग (Differential Staining) की तकनीक है। पहले इसे Ziehl द्वारा विकसित किया गया था और बाद में Neelsen ने संशोधित किया, इसलिए इस रंगने की तकनीक को Ziehl-Neelsen स्टेनिंग के नाम से जाना जाता है। क्योंकि हम इस प्रक्रिया में हिट (Heat) का उपयोग करते हैं, इसलिए Ziehl-Neelsen तकनीक को हॉट मेथड ऑफ एसिड-फास्ट स्टेनिंग तकनीक के रूप में भी जाना जाता है।

झेड-एन स्टेनिंग तकनीक का प्राथमिक उद्देश्य बैक्टीरिया को एसिड-फास्ट
(acid-fast)
और नॉन एसिड-फास्ट (non-acid-fast) समूहों (Group) में विभाजित करना है।

झेड-एन स्टेनिंग सिद्धांत (Z N Stain Principle in Hindi)

सेलवाल में माइकोलिक एसिड्स होने के कारण कुछ बैक्टीरिया कि सेलवाल वैक्सी होती है। इस प्रकार के वैक्सी सेलवाल की सतह को ग्राम स्टेन के जैसे जलीय आधारित रंगों से स्टेन करना कठिन होता है क्योंकि माइकोलिक एसिड्स स्टेन को सेलवाल के अंदर पेनिट्रेशन नहीं होने देते । झेड-एन स्टेन में, स्मीयर को पहले प्राथमिक स्टेन (Primary Stain) कार्बोल फ्यूशिन (Carbol Fuchsin) के साथ स्टेन किया जाता है। इस प्रक्रिया के वक्त थोडी सी हिट अप्लाय कि जाती है जो कार्बोल फ्यूशिन स्टेन को वैक्सी सेलवाल में पेनिट्रेट करने में मद्द करती है। एक बार जब कार्बोल फ्यूशिन माइकोलिक एसिड्स के साथ बाईंड हो जाता है, तब उसे एसिड इन एल्कोहल सोल्युशन जैसे स्ट्रॉंग (Strong) डिकलराइज़र (decolorizer) से सेलवाल में से भी नहीं हटाया जा सकता ।

कार्बोल फ्यूशिन (Carbol Fuchsin) से स्टेन हुए बैक्टीरिया को ऍसिड इन अल्कोहोल सोल्युशन से डिकलराइज़ करने के बाद भी कार्बोल फ्यूशिन स्टेन को सेलवाल के अंदर बनाये रखने के बॅक्टेरिया के क्षमता को ऍसिड फास्टनेस कहते है। और ऐसे बॅक्टेरिया को ऍसिड फास्ट बॅक्टेरिया कहते है जो अंत तक सिर्फ कार्बोल फ्यूशिन का लाल रंग प्रकट करते है। बैक्टीरिया के कार्बोल फ्यूशिन स्टेन को ऍसिड इन अल्कोहोल सोल्युशन से डिकलराइजेसन के वक्त खो देने के क्षमता को नॉन ऍसिड फास्टनेस कहते है है। अगले स्टेप में स्मिअर को सेकंडरी डाय मेथिलीन ब्लू (Methylene Blue) से 2 मिनट तक काउंटरस्टेन किया जाता है। अब सिर्फ नॉन ऍसिड फास्ट बॅक्टेरिया जो ऍसिड इन अल्कोहोल सोल्युशन से डिकलराइज़ हुए है वो मिथिलिन ब्लू का नीला रंग ले लेते है

जीहल-नीलसन स्टेनिंग (ZN Staining) में, एसिड-फ़ास्ट बैक्टीरिया लाल रंग से रंगित (stain) होते हैं, जबकि नॉन -एसिड फ़ास्ट बैक्टीरिया नीले रंग से रंगित (stain) होते हैं।”

झेड-एन स्टेनिंग के रिएजेंट्स ( Reagents for ZN Staining)

झेड-एन स्टेनिंग में तीन मुख्य रिएजेंट्स हैं – कार्बोल फ्यूशिन (Carbol Fuchsin) , ऍसिड इन अल्कोहोल सोल्युशन, और मेथिलीन ब्लू

कार्बोल फ्यूशिन (Carbol Fuchsin)

यह प्रायमरी स्टेन (Primary Stain) है। अधिकांश बैक्टीरिया कि प्रजातियाँ, मेथिलीन ब्लू और क्रिस्टल वायलेट जैसे सामान्य जलीय रंगों (Aqueous Based Stains) के साथ स्टेन हो जाते है । इसी तरह, माइकोबैक्टीरिया मेथिलीन ब्लू और क्रिस्टल वायलेट जैसे सामान्य रंगों (Dyes) से रंगने में सक्षम नहीं होते । इन बैक्टीरिया को कार्बोल फ्यूशिन के साथ रंगा जा सकता है। कार्बोल फ्यूशिन (carbol fuchsin ) यह गहरा लाल रंग है जो 5% फीनॉल (5% phenol) में तैयार किया जाता है। कार्बोल फ्यूशिन स्टेन को जादा लिपिड वाले सेलवाल के अंदर पेनिट्रेशन के हिट (heat) अप्लाय कि जाती है।

कार्बोल फ्यूशिन (Carbol Fuchsin) बनाने के लिए निम्नानुसार सामग्री आवश्यक होती है

डिस्टिल्ड वॉटर- 100 मिलीलीटर

बेसिक फ्यूशिन – 1 ग्राम

इथाइल एल्कोहॉल (100% इथानॉल) – 10 मिलीलीटर

फीनॉल क्रिस्टल (Phenol crystals) – 5 मिलीलीटर

ऍसिड इन अल्कोहोल सोल्युशन:

झेड-एन स्टेनिंग में ऍसिड इन अल्कोहोल सोल्युशन डिकलराइज़र (decolorizer)का कार्य करता है । यह सेल सर्फेस पे चीपके हुए स्टेन को निकलता है ।

ऍसिड इन अल्कोहोल सोल्युशन बनाने के लिये सामग्री

इथाइल एल्कोहॉल – 95 मिलीलीटर

डिस्टिल्ड वॉटर – 2 मिलीलीटर

संकेंद्रित हाइड्रोक्लोरिक एसिड (Conc. HCL) – 3 मिलीलीटर

मेथिलीन ब्लू:

यह सेकेंडरी स्टेन है जो काउंटरस्टेन के रूप में कार्य करता है। काउंटरस्टेन मेथिलीन ब्लू (1% एसिटिक एसिड में 0.25% मेथिलीन ब्लू ) बनाने के लिये सामग्री

मेथिलीन ब्लू (Methylene blue) – 0.25 ग्राम

डिस्टिल्ड वॉटर (Distilled water) – 99 मिलीलीटर

एसिटिक एसिड (Acetic acid) – 1 मिलीलीटर

झेड-एन स्टेनिंग के लिए आवश्यक सामग्री (Materials required for ZN staining)

  1. बैक्टीरियल कल्चर / बलगम का नमूना
  2. साफ कांच का स्लाइड
  3. स्पिरिट लैंप
  4. झेड-एन स्टेन रीएजेंट्स (कार्बोल फ्यूशिन, ऍसिड इन अल्कोहोल सोल्युशन, मेथिलीन ब्लू)
  5. स्मीयर धोने के लिये पानी
  6. 100x ऑब्जेक्टिव वाला माइक्रोस्कोप
  7. सीदारवुड तेल या तरल पैराफिन तेल”

झेड-एन स्टेन प्रक्रिया (ZN staining procedure in hindi)


(ZN staining) झेड-एन स्टेनिंग में मुख्य रूप से दो स्टेप्स है। पहला स्टेप है, कांच की स्लाइड पर बैक्टीरियल स्मीयर बनाना। और दुसरा स्टेप है इस बैक्टीरियल स्मीयर को झेड-एन रिएजेंट के साथ स्टेनिंग करना।

पहला स्टेप (Step 1) : कांच की स्लाइड पर बैक्टीरियल स्मीयर बनाने की तैयारी

  • एक साफ और ग्रीस-मुक्त स्लाइड पर स्टराईल (sterile) वायरलूप से एक लूपफुल बैक्टीरियल कल्चर लें।
  • स्लाइड पर एक स्मीयर बनाएं, हवा से सुखाएं और स्मीयर को हीट फिक्स करें। (स्लाइड को हल्के से बर्नर के फ्लेम के उपर से 2-3 बार धीरे से पास करें।)

दुसरा स्टेप (Step 2): झेड-एन स्टेनिंग

  1. स्मीयर पर (Carbol Fuchsin) डालिये और 5 मिनट स्लाइड को स्टीम (steam) पे रखिये ।
  2. बाद में स्लाइड को ठंडा होने दे और स्मीयर को हल्की पानी की धार में धोएं ताकि बचा हुआ एक्सेस स्टेन निकल जाए।
  3. अब स्मीयर पर डिकलरायझर (decolorizer) एसिड एल्कोहल सोल्यूशन (Acid alcohol Solution) तब तक डालिये जब तक स्मीयर पे से एसिड एल्कोहल सोल्यूशन क्लियर गिरने लगे।
  4. अब स्लाइड पे जो स्मियर है उसे हल्की पानी की धार में को धोएं।
  5. अब स्मीयर पर को मेथिलीन ब्लू (Methylene Blue) से 2 मिनट तक काउंटरस्टेन (Counterstain )करे।
  6. स्मीयर को हल्की पानी की धार में स्लाइड को धोएं।
  7. अब स्लाइड को सुखाने के बाद माइक्रोस्कोप के नीचे 100 X ऑब्जेक्टिव ऑयल इमर्शन लेंस के साथ स्लाइड को आबजर्व (Observe) करे।
ZN staining procedure in hindi

झेड-एन स्टेनिंग के परिणाम (ZN Staining Results and Observation in Hindi )

  • झेड-एन स्टेनिंग में, एसिड-फास्ट बैक्टीरिया लाल रंग में दिखाई देते हैं।
  • नॉन ऍसिड-फास्ट बैक्टीरिया नीले रंग में दिखाई देते हैं।

इस प्रकार, झेड-एन स्टेनिंग के परिणाम से बैक्टीरिया को दो अलग-अलग रंगों में दिखाया जाता है, जो उनकी पहचान में मदद करता है।

Acid Fast and Non Acid Fast Bacteria in hindi

ऍसिड फास्ट बैक्टीरिया (Acid-Fast Bacteria) के उदाहरण

  1. माइकोबैक्टीरियम ट्यूबर्क्यूलोसिस (Mycobacterium tuberculosis) – ट्यूबर्क्यूलोसिस के कारण विख्यात होने वाला बैक्टीरिया।
  2. माइकोबैक्टीरियम लेप्रे (Mycobacterium leprae) – कुष्ठरोग (लेप्रोसी) के कारणीय बैक्टीरिया।
  3. माइकोबैक्टीरियम अवियम (Mycobacterium avium) – पुल्मोनरी और नॉन-पुल्मोनरी इन्फेक्शन के कारणीय बैक्टीरिया।

ऍसिड फास्ट बैक्टीरिया (Non-Acid-Fast Bacteria) के उदाहरण

  1. एस्चेरीशिया कोलाइ (Escherichia coli) – पाचन तंत्र में सामान्य रूप से पाया जाने वाला बैक्टीरिया।
  2. स्टाफिलोकोकस ऑरियस (Staphylococcus aureus) – त्वचा और संक्रमणों के कारणीय बैक्टीरिया।
  3. स्ट्रेप्टोकोकस प्न्यूमोनिए (Streptococcus pneumoniae) – न्यूमोनिया और अन्य उपचारयोग्य संक्रमणों के कारणीय बैक्टीरिया।

ये उदाहरण अपेक्षाकृत सामान्य और प्रसिद्ध बैक्टीरिया हैं, जिन्हें ऍसिड फास्ट और नॉन ऍसिड फास्ट बैक्टीरिया के रूप में वर्णित किया जा सकता है।

झेड-एन स्टेनिंग के उपयोग (ZN Stain uses) :

  1. विभिन्न माइकोबैक्टीरियम प्रजातियों का जांच, पहचान और वर्गीकरण करने के लिए।
  2. ऍसिड-फास्ट और गैर ऍसिड-फास्ट बैसिली के बीच अंतर (Distinguish) करने के लिए।
  3. कुछ कवक (Fungal) प्रजातियों, जैसे क्रिप्टोस्पोरिडियम (Cryptosporidium), की पहचान के लिए।
  4. झेड-एन स्टेन का मुख्य उपयोग, मरीज़ के बलगम (sputum) के नमूनों से पल्मनरी ट्यूबर्कुलोसिस (TB) का निदान करने के लिए होता है।

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